"जितना एक मूर्ख वयक्ति किसी बुद्धिमानी भरे उत्तर से नहीं सीख सकता उससे अधिक एक बुद्धिमान एक मूर्खतापूर्ण प्रश्न से सीख सकता है।"
हमारी सकारात्मक सोच, सकारात्मक संवाद और सकारात्मक कार्यों का असर हमें सफलता की ओर अग्रसर करते हैं। वहीं निराशा तथा नकारात्मक संवाद व्यक्ति को अवसाद में ले जाते हैं क्योंकि विचारों में बहुत शक्ति होती है। हम क्या सोचते हैं, इस बात का हमारे जीवन पर बहुत गहरा असर होता है। इसीलिए अक्सर निराशा के क्षणों में मनोवैज्ञानिक भी सकारात्मक संवाद एवं सकारात्मक कहानियों को पढने की सलाह देते हैं। हमारे सकारात्मक विचार ही मन में उपजे निराशा के अंधकार को दूर करके आशाओं के द्वार खोलते हैं।
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